Monday, 19 December 2016

फेसबुक प्यार की कहानी - मुझे आप पर पूरा भरोसा है


   

 फेसबुक प्यार की कहानी - मुझे आप पर पूरा भरोसा है

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..रात के करीब 11 बज रहे थे, कि होटल में मेरे रूम की घंटी बजी। मैं भुनभुनाते हुए, गुस्से में उठ के दरवाजा खोला तो स्तंभित रह गया। सामने "मनु" खड़ी थी। वैसे तो उसका नाम मंजुला था, लेकिन मैं उसको मनु कहने लगा था इधर कुछ दिनों से। 
अत्यंत साधारण सी खूबसूरती में भी, मुझे वो जाने क्यों असाधारण खूबसूरत लगती थी,. कमर शायद 23-24 इंच, दुबली पतली छरहरी काया, पतली नाक, पतली-पतली उँगलियाँ, रेशम से काले-भूरे बाल, और कपड़ों में भी हद दर्जे की भारतीयता। 

पतले लेकिन भरे से होंठ, दिल को भेदती-छेदती सी चुलबुली आँखें,.. सांवला सा रंग, और चेहरे और बातचीत में भरपूर सौम्यता। उससे कई गुना ज्यादा खूबसूरत लोग मेरे चारों तरफ रहते हैं,. लेकिन मेरी निगाहें हमेशा उसको ही तलाशती थीं, जाने क्यों। 
मैं एक शादीशुदा वयस्क, उससे प्यार तो हरगिज नहीं करता होऊंगा, पक्का ठरकीपने से ही पसंद करता होऊंगा मैं उसको। लेकिन फिर हमेशा ये सोचता था, कि केवल उसी को क्यों?? और किसी ज्यादा सुन्दर लड़की की तरफ आँख उठा के भी क्यों नहीं देखा? शायद ये वजह भी हो सकती है कि ...पूजा का थाल हाथ में लिए किसी लड़की को देखकर, मेरा दिल वहीँ ठहर जाता है,..!! हाँ, याद आया, उसको पहली बार अपनी किसी स्टोरी पर लाइक करते देख के उसकी प्रोफाइल फोटो देखा, और मैंने रिक्वेस्ट भेज दिया था।

...वो ही मेरे रूम के दरवाजे पे खड़ी थी। शाम को तो कितनी बार बुलाया, लेकिन तब नहीं आई ये महारानी, अब इतनी रात में आई हैं। ...मैंने मन ही मन लहालोट होकर खुश होते हुए, सोचा,.. "बदनामी इसकी होगी अगर होगी भी तो, मुझे क्या फर्क पड़ता है।" ...मैंने गलियारे में इधर उधर देखा कि,.. कोई देख तो नहीं रहा है, फिर उसको अन्दर आने के लिए कहा। लेकिन वो जैसे मेरी बात ही नहीं सुन रही थी। .. उसके गुलाबी से होंठ थोड़े से थरथरा के खुले और वो वहीँ दरवाजे पर खड़े खड़े कहने लगी,...

..."सर आपने आखिर अपने मन की कर ही ली, आपने हमारी आपस की चैटिंग की बातचीत का,.. स्क्रीन शॉट ऐसे लिया जैसे, मैं आपके पीछे पड़ी हूँ। आपने कहानी ऐसी लिखी उन बातों को लेकर कि,.. आपकी गलती,.. कोई पकड़ ही नहीं सकता। ..आपकी स्टोरी पढने के बाद तो मुझे खुद ऐसा लगने लगा कि, शायद मैंने ही गलती की हो। ..लेकिन फिर मैं अपने मोबाइल में हमारी बातचीत का रिकॉर्ड देखा तो पता चला कि, मेरी कोई गलती ही नहीं थी, सिवाए इसके कि, मैं आपके लेखन से आपके व्यक्तित्व की बहुत बड़ी फैन थी। आपने मुझे बार बार होटल में मिलने को बुलाया,.. लेकिन, मैं अपनी होने वाली शादी, अपने मंगेतर की दुहाई देती रही। फिर आपने गुस्से में, मेरा चरित्र हनन करते हुए ये कहानी लिखी,... और मेरे सारे परिचितों को, रिश्तेदारों को उसमे टैग कर दिया। मैं सुबह होते ही बदनाम हो जाउंगी, और किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहूंगी।"

..."सर मैं पहले भी आपके लेख की दीवानी थी, और हमेशा आपसे एक फैन की तरह मोहब्बत करती रहूंगी। आपने जो भी किया है सोच समझ कर ही किया होगा। आपके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ। अब मैं हमेशा के लिए जा रही हूँ।"

...इतना कह कर वो पलट कर गलियारे से होती हुई,.. लास्ट में जाकर,.. मुड़ के मुझे देखी एक बार। रुलाई रोकने से विवश उसका चेहरा टेढ़ा-मेढ़ा सा, विकृत सा लगा मुझे,.. आँखों में आंसू झिलमिलाते हुए चमक गए मुझे,.. फिर वो चली गई। मैं तब तक किन्कर्त्व्यविमूढ होकर काफी देर तक ऐसे ही दरवाजे पे खड़ा रह गया। ना उसको बोलने से रोक पाया, ना उसके वापस जाने से ही। ..थोड़ी देर में मेरी चेतना लौटी और पहला विचार ही सवाल की तरह हथौड़े सा घन्न से दिमाग से टकराया,.. "ठरक पूरी ना हो पाने के गुस्से के नशे में,..ये मैंने क्या कर डाला ??" क्या मैं इतना नीच हूँ कि,.. अपनी एक बार की वासना के लिए एक लड़की की जिन्दगी तबाह कर दी??"

....मैं भाग के बिस्तर पर पड़ा हुआ, अपना लैपटॉप खोला और अपनी पोस्ट चेक किया। आश्चर्य,.. केवल मनु का ही लाइक आया हुआ था, हमेशा की तरह "दिल" की स्माइली वाला। मेरा दिमाग हैंग हो गया, ऐसा लगा कि आज ये स्माइली मेरा मुंह चिढ़ा रही है। मैंने तुरंत वो झूठी कहानी डिलीट कर दिया,. लेकिन मेरा मन अभी भी बेचैन था। तो मैं मनु की वाल पर चला गया अपने दिमाग को संयत करने के लिए, यंत्रवत,. रोज की तरह। पहले तो उसकी प्रोफाइल फोटो को जी भर निहारा मैंने, फिर उसकी पहली पोस्ट पर नजर गई, और मैं पुनः जड़वत हो गया, वहां उसने लिखा था,

"मैं अपने पूरे होशोहवास में ये लिख रही हूँ कि,.. मेरे मरने के बाद मेरे सर (श्रीमान $$$) को परेशान ना किया जाय। सारी गलती मेरी ही थी, मैं ही उनके पीछे पड़ी हुई थी, मैं ही उनकी शादीशुदा जिन्दगी को तबाह कर रही थी। ..इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। ..मैंने अपने हाथ की नस काट ली है, थोड़ी देर की तकलीफ और है बस। उसके बाद इस फ़ानी दुनिया को,.. मुझसे हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा। "

...इस तीन चार लाइन की पोस्ट को मैं मूर्खों की तरह पलक झपका झपका के कई बार पढ़ा। कितनी भी गहरी बात हो, मुझे एक बार में समझ आ जाती है, लेकिन इस पोस्ट में सीधे सीधे लिखी हुई बात मुझे समझ नहीं आ रही थी। बड़ी देर बाद मुझे ये समझ आया कि,.. अभी अभी,.. मेरी ठरक ने एक मासूम की जान ले ली है, ...जस्ट अभी अभी। ..जिसमें उसकी कोई गलती थी, गलती थी तो सिर्फ इतनी कि वो मुझ पर भरोसा कर बैठी थी। मेरे अन्दर के शैतान को ना पहचान कर, वो एक ही बात रटती रहती थी कि, .. "मुझे आप पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है सर।" वो भोली थी या बेवकूफ, लेकिन मुझे मेरी ही नजरों में हमेशा के लिए नंगा कर गई।

...मैं पागलों की तरह बेड के, रजाई चद्दर तकिये फेंक-फांक के अपना मोबाइल ढूंढ कर उठाया,.. और उसका नंबर डायल करने लगा। घंटी जाती रही लेकिन उसने नहीं उठाया,.. मैं बार-बार नंबर डायल करता रहा कि,.. अपनी कसम देकर उसको डॉक्टर के पास जाने के लिए कहूँ, लेकिन फोन नहीं उठ रहा था। ...मैं फूट-फूट के रोने लगा, और रोते रोते ही नंबर डायल करता रहा, आंसुओं से मोबाइल भीग जा रहा था, तो उसको अपनी टीशर्ट में पोंछ लेता था, थोड़ी देर बाद टीशर्ट भी भीग गई, तो गद्दे में पोंछने लगा फ़ोन। रोते-रोते एक ही बात रट रहा था मैं,.. 

..."आईएम सॉरी यार, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई मनु। प्लीज मरो मत, मैं हमेशा के लिए तुम्हारी दुनिया से बाहर चला जाऊंगा, लेकिन प्लीज मत मरो यार,. अपने मम्मी-पापा के बारे में सोचो,.. मुझ जैसे जाहिल जानवर के लिए अपनी जिन्दगी मत ख़त्म करो ना मनू, प्लीज मत मरो,. प्लीज मत मरो यार,.. एक आखिरी बार फोन उठा ले यार,.. प्लीज प्लीज प्लीज,..... "

अब रोते-रोते मेरी नाक भी बहने लगी थी, लेकिन मैं नंबर डायल करता ही रहा। धीरे-धीरे रात बीत गई, खिड़की से उजाला दिखने लगा, और अब मैं निराश हो चुका था कि,.. शायद ही वो बची हो। मेरी उंगलिया थक चुकीं थी नंबर डायल कर कर के, एकदम अकड़ गई थीं। फिर मैं मोबाइल बेड पे फेंक के दोनों हाथों से सिर थाम के बैठ गया। मुझे उसकी बातें याद आ रही थीं, जो मेरी पोस्ट पे उससे चुहलबाजी होती थी। मुझे उसकी सेल्फी वाली फोटोज याद आ रही थीं,.. कि कैसे मैं उसकी वाल पे कुछ लाइक कमेंट नहीं करके,.. इनबॉक्स में घुस के बेशर्म से कमेंट करता था, लेकिन वो हँस के इग्नोर कर दिया करती थी। ..... यही सब दिमाग में चल रहा था,.. मुझे अब कुछ और सूझ ही नहीं रहा था, एकदम दिमाग खाली सा हो गया था, आंसूं सूख के गालों और गर्दन पे चिपक गए थे।

फिर सुबह के छः बजे,.... फ़ोन बजा मेरा, मैंने निर्विकार भाव से स्क्रीन पर देखा, तो "Manu Calling" लिख के आ रहा था। मैं समझ गया कि,.. मेरी इतनी कॉल्स देख के मनु के परिवार वालों ने पहले मेरे ही नंबर पे डायल किया होगा। मैंने अपना दिल कड़ा किया, अपनी गलती की हर सजा के लिए, और फ़ोन उठा के सामने वाले की हेल्लो सुने बगैर चालू हो गया,.. कि "देखिये, ये लड़की एकदम निर्दोष है, गंगा की तरह पवित्र और पावन है। मैंने ही इसको फंसाया था अपने जाल में, चिकनी चुपड़ी बातें करके। इसकी मौत की पूरी जिम्मेदारी मैं लेता हूँ। जो सजा मुझे दिलवानी है दिलवा दीजिये,.. मैं एक शब्द भी अपने बचाव में नहीं कहूँगा,.. और, और .....!!" ....तब तक उधर से सुरीली सी आव़ाज में कूकी "मनु",.. "ओ हेल्लो सर,.. सुबह सुबह भांग-वांग तो नहीं खा लिए, जो मेरी मौत की बात कर रहे हैं ? मैं क्यों मरूंगी, और आप कुछ गलत कर ही नहीं सकते,... मुझे आप पर पूरा भरोसा है,!! कोई सपना वपना देखा है क्या आपने? wow मैं आपके सपनों में भी अब आने लगी ? हहाहाहा,...!"

अब मेरी आँख खुल चुकी थी, और सर्दी के इस मौसम में भी मैं,.. पसीने पसीने हुआ पड़ा था होटल के बिस्तर में, और पसीना मेरे गालों और गर्दन पे सूख के चिपचिपा रहा था।

(महिलाओं के लिए,.. Moral of the Story यही है कि,.. किसी से अपनी तस्वीर ना शेयर करें कभी, जोश में या मजाक में कोई अशोभनीय बात ना करें, ना सुनें इनबॉक्स में,.. मुझसे भी नहीं। क्योंकि अंततः मैं भी एक इंसान ही हूँ,.. और मेरे अन्दर भी एक बदबूदार जानवर छिपा बैठा हो सकता है।)


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